
सतगुरु बाबा रोहित कुँवर साहिब
बह्मलीन सतगुरु बाबा सुरेश चन्द्र साहिब भली भाँति जानते थे कि उनके जाने के बाद इस गद्दी पर एक सुयोग्य प्रवन्धक व गद्दी को सम्भाल ने वाले सतगुरु के लिए दीपक लेकर ढूँढना पड़ेगा। अतः इसी विचार को मन में लिए उन्होंने एक कुलीन साध परिवार से अपने पुत्र को साध मंदिर को देने की याचना की। वह परिवार है ककौला जनपद अलीगढ़ के रहने वाले श्रीमान बीघा साधजी का। उनके चार पुत्रों में से एक पुत्र श्री महेश चन्द्र शर्मा जो दिल्ली में कारोबार करते हैं के तीन पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र को बाल्यावस्था में ही माँग लिया और पिता श्री महेश चन्द्र शर्मा, व माता श्रीमती गीता देवी ने अपने पुत्र रोहित कुँवर को बाबा साहिब को सौंप दिया।
इस प्रकार इनका पैत्रिक गाँव ककौला (अलीगढ़) एवं जन्म स्थान दिल्ली रहा। प्राइमरी शिक्षा दिल्ली में पूर्ण करने के बाद आपने खुर्जा, गभाना आदि से शिक्षा प्राप्त की। आपने एम० ए० इतिहास व शिक्षा शास्त्र में की है तथा अब पी० .एच० डी० पूर्ण करने का कार्य चल रहा है। लेकिन सतगुरु बाबा श्री सुरेष चन्द्र साहिब के अक्समात निर्वाण होने कारण पढ़़ाई का कार्य कुछ दिनों के लिए रोक देना पड़ा है। बाबा साहिब श्री सुरेश चन्द्र साहिब ने उन्हें धर्म की सारी शिक्षाए देकर इस योग्य बना दिया कि आज वे गुरू गद्दी को सम्भालते हुए अनेक विकास कार्य करा रहे है। बाबा साहिब के द्वारा स्थापित सतनामी कन्या विद्या पीठ जिसमें छात्रायें बी0ए0 एवं बी0एड0 की षिक्षा ग्रहण करती हैं, जिसका कार्य सुचारू रूप से चला रहे हैं। पूरी साध संगत का उन्हें स्नेह प्राप्त है। आप निर्बल और असहायों लोगों की तुरन्त सहायता में विश्वास रखते हैं। वास्तव में इस रुकनपुर गद्दी को ऐसे ही सतगुरु की आवश्यकता थी जो परम अवगत मेहरबान की कृपा से वास्तव में पूर्ण हुई।