Rekhta

रेख्ता

(1)
सांचे गुरू है सबलदास, साँच के हिरदे आमें (1)
परखि न जाने पोति, कहाँ हीरा कूं जाने (2)
छीलर गोता खाय, समद की थाह न पावें (3)
कंकड़ लीयो उठाय कहाँ, पारस कूं पावें (4)
डरे स्यार से देख सिंह पै कैसे धावें (5)
करें ओर की आस, मन में दातार कहामें (6)
मेटे कुल मरजाद, सूर सामंत कहामें (7)
परखे गुरू का सबद, अन्धेरों ना रहे (8)
अन्धेरों मिट जाय, ज्योति सूरज परकास है (9)
करी नजर गरूर की, नहंकलक चढ्सी आप (10)
चैकी बैठे सत की, जहाँ रहन न पावें पाप (11)
यह ओसर मत चूकियों, सादों सुनो सबद चित्त लाय (12)
साँचे गुरू है सबलदास, सामल कही सुनाय भगति को विरध न लाजे (13)

(2)
अबहू चेति समझ मन मेरा, या ओसर में भली बनी (1)
झूठे जगत भर्म सूं लाग्यो, सच्चा सुमिरो येक धनी (2)
गढ़े पत्थर कूं पूजे भोंदू, दई देवता मानि लिया (3)
तीरथ बरत पचे पेंदायस, हिरदे भीतर साँच नहीं (4)
सेंस भरम को परयो सांकरा, झूठ बोलते अवधि गई (5)
पाड़ें वेद सबें पचि हारे, लेबई की घात करी (6)
तुरक पीर पैंगम्बर पूजे, गला काटि तसमीन लई (7)
बेईमान बेखुन करि डारो, झूठे मुल्ला बागि दई (8)
छः दरसन पाखन्ड़ छिन्यानवें, भगति बिनसे न्यारी रही (9)
सबलदास गुरू पूरा मिलियों, सामल साध बिचारि कही (10)

(3)
चेति रे अकूर मन भूलि भरम जाय मति (1)
सकल पसारो हाथ बेटा-बेटी माई-बाप,
कोई नहीं है संगी साथ (2)
अन्त काम परेगो धनी सूं बाबरे, बसनो सराय को (3)
बन्दगी बिना किस घर जाओगे (6)
तुम, हीरा रतन जैसे, मूल पछताओगे (7)
बटाँक सूँ उटबाट, चलनो सबेरो है (4)
चलना ही चलना, तुम किस घर जाओगे (5)
कालरे से खेत जैसे, बीज नास कीयो है (8)
मिले हैं सबलदास, नाम पायो सत को (9)
अजर अमर सादो, बीज है भगति को (10)
एक जुग बोईये, जुग खाइये (11)
कहें सामल साध संगत में, बैठि सादन कूं सुनाइये (12)