Chadhai

                  चढाई/आगिम

सबलदास सतगुरू हैं भाई, तुम परचै साध डिगौ मत माई।
सबल दास जी कूं तिलक दियौ है जैसे सारा,
भाई उदय भगति परघट भई सारा।

सबलदास अवगत के बच्चा, जिन पकड़ी है बांह जगाया सोता।
अबके चढ़सी गुरू और चेला, तुम सुनियो साध भगत को हेला।
नौऊ खण्ड ऊपर अबके भई है तैयारी,तुम सुनियों साघ भगत की त्यारी।
निर्भय है के साधो तुम भगति कमाओ,भाई यह औसर जुग चैथे ही पाओ।
अबके होयसी ऐसी अडम्बा, भाई डिगे मीन धरती को खम्बा।
सुनियो रे तू काजी मुल्ला सेत मलिंगा, तोय पकड़ मंगावै बाबा आप सिलंगा।
आवें आवें नौऊ नाथ बारहपंथ सिध चैरासी, आवै लक्ष्मण राम अयोध्या वासी।

बड़े-बड़े भूप बड़े बड़े बँका, भाई हनूमान गढ़ तोड़ी है लंका ।
लंका मारी पिरथी छोड़ी, भाई अबके कल में करसी खोडी।
इन्द्रिया रे रामरस देत देहन कूँ पोखे,भाई भगत नाहि ये चैड़े ही धोखे।
पोथी यारे थोथी पांडे जुग भरमायौ, भाई साधु सेती परपंच उपायौ ।
अबकै झूठ सांच कौ होसी निरबाहौ, इन दुरमुखियन को मोहडो ही कायौ।
सामल साध कहै सत भाखौ,सत की भगत बाबा अवगत राखौ।

                       (2)

सुनो म्हारो भाईरा या दोसरा सेदान।
ऐसे यारम होंयगे यों कहे जुग परमान।
सेत घोड़े चढ़े सतगुरू सेत ही पल्लान।
सेत चाबुक जड़े मोती सेत ही लगाम ।।1।।
सेत रे संजोग सांकट सेत ही तरवार ।
सेत छत्तर दीखे मस्तक सेत फूल्याहार ।।2।।
पाँचों पण्डा दिये दल में बड़े जोधावली।
सेत सांकत सोहनी गढ़ लेय डेरादली।।3।।
पवन सूं परवत उड़े घटा बरसे घोरि।
बीजलौ चमके गगन में गुरू आवसी याही ठौर।।4।।
सेत नेजा फरहरे और आकाश तम्बू तने।
शब्द अनहद नाद बाजै वेद विरमा भने ।।5।।
बेदारथी औतार विरमा करे बहुत बखान ।
वेद उनसे रहे न्यारा रहे छके चाल।।6।।
पीर और पैगम्बर औलिया रोसन कुतुम्ब अली।
ये ते दल में आयसी दुखेसन अल्ली ।।7।।
पर मुदगर मार भारी खोपड़ी जाय फूट।
चक्क छूटै गेब के जब अनहद जाय टूट।।8।।

माचसी घनाघोर कल थरथरी होय सन्त
भरल में सुमेरू अचराचल आदि अन्त।।9।।
माचसी जब हाय तोबे परे अति की मार।
जीव सीन नहाकलंक राजा जाय कालिंगा भाजि।।10।।
कोपसी जब कुमर कायम कौन धरसी धीर।
चढ़ें चैसठ जोगिनी संग चढ़े बामन वीर।।11।।
हांक ले हनुमान आवै लोक तीनों गाजि।
चढे सेना रीक्ष वानर जाय कालिंगा भाजि।।12।।
गंग जमुन जल सूखसी जब नदी नाबरौ थकै।
पाप पल्लौ होयगी पल में जब झूठ को घर धक्क।।13।।
आवसी अवगत जोगी अगम आसन ठौर।
केता आरम किया पाछे केता करसी और।।14।।
नौ औतार पिरथी जानिये नहकलंक कोई विरला लहे।
कहे सामल साद हुकम गुरु को सरन जुगजुग रहे।।15।।

                       (3)

चेतो मेरे भाईरा ये देवरो दल आयो,
हे परि भेल्ले आयो जी-टेक।

अजी उत्तर दिसा सूँ धनी म्हारो लेसी उभायो।।1।।
पूरब दिशा सूँ धनी म्हारौ कर ले कटारी ।

कालिंगा दाना री भुजा बाढ़न हार।।2।।
अठारह पदम धनीरा पायकरो दल हालै।
निन्यानवे करोर तुरीया माडेला पलान।।3।।
साहिब रे दल में लाख दिवायच।
छप्पन करोर दल में घुडेला निसान।।4।।
अठारह पदम धनीरा पायकरो दल हालै।
सेत ही तो तुरीया मरदो मडेला पलान।।5।।
साहिब रे दल में अर्जुन सौ बरनाय।
अस्सी सहस्त्र दल में छुटिला बान।।6।।
पहले तो दीपक नदी नरबदा के नीरे।
दूसरौ तो दीपक गढ़ गढ़ नार।।7।।
तीसरौ तो दीपक पोखर सुरसती के नीयरे।
जब मिलसी म्हारौ साहिब रौ सचियार।।8।।
कालिंगा दाना पे बाबा खुरीया खुदावै।
और धरती ऊपर होयसी मरदो घंम घमासान।।9।।
बोलिये दिवायच पंडित सतगुरु के हुकम सूँ।
पंडन कौ तो तोरन होयसी मरदो गढ़ गढ़ नारि।।10।।

                       (4)

पश्चिम दिशा सूँ भाई म्हारी सब दल हाले हाले।

कोई धरती तो अम्बर दोऊ धूजें।
घोड़ा री पाबड़िया से खेडला उडेला।
कोई भान हो रज्ञे सुर छावा।
कूच तो करि-करि गुरू म्हारौ साहिब चढ़सी।
कोई छिन में छियानवे गढ़ तोड़े।
आपे तो बैठयौ गुरू म्हारौ मेलो साहिबा मांडे।

ऊँचे तो नीचे मेलो भरसी।
उलेरिया पलेटै गुरू म्हारौ धरती ऊपर लेटे।
चेतो मोरा भाइरा जुग सिधि आई।
कोपिये से दानी नह कलंक भई हैं त्यारी।
देत हो कालिंगा प्यारी वारी।
राजा रे कौन गुरू गगन रचायौ।
कोई ऊँचे तो नीचे मेलो भरसी।
मेघा रे कौन गुरू तोरण पलानिया।
परनै साहिबा अखिन कुमारी।
नौ औतार आगे दाना निरदानिया।
कोई दसवें कालिंगा त्यारी वारी।
पालो कहे रे सुनियो अरज हमारी।
मैं तो सतगुरू शरण तुम्हारी।

                       (5)

पाँच करोर सूं मुखिया कहामें, ध्रुव प्रहलाद जी दल में आवे ।1
सात करोर सूं मुखिया कहामें, राजा हरिश्चन्द्र दल में आवबे ।2
नौ करोड़ सूं मुखिया कहामें, पाँचो पंडा दुही ढल आवे ।3
बारह करोर सू तालिब रानी, बलि राजा नहंकलक हे जानी ।4
चौबीसो बकराबत कहये धनेरा, राउ उदे राउ दल में भेडा ।5
गरजत घोरत इन्द्र जी आवें, साहिब त्यारे दल में नीर पिलावे ।6
घड़ी हो घमड़ बाबो अवगति आवे, नौ लख सींगी नाद बजावे ।7
घड़ी हो घमड़ बाबो सतगुरू आवे, मक्के मदीनो बारो पीर बुलावे ।8
हांक मारि हनुमत हकेला, गोरख जी अगिमानी होयला ।9
चारों तो फोज चढ़े चोधारा, भाजि रे कांलिगा तेरी भूमि पजारा ।10

भूमि पजारे भूपघर डेरा, रुकमनी परघट होयेगे फेरा ।11

रानी कहे सुनि सुनि हो तुरका, ये दल आया म्हारे आलम गुरू का ।12
तुरका कहे सुनि सुनि हो रानी, आदि को कालिगा मैंने संख्या ना मानी ।13
कोन मरद म्हारे आय रे थापें, कोन मरद त्यारी उपमा करावे ।14
सतगुरू साहिब आये रे थापे, नहंकलक जी त्यारी उपमा करावे ।15

धनुष बान त्यारो टाग्यो रहेगा, कालिगा ने मारि सुरजीया ने लेग्या ।16
आगिम सूं दिवायच भाखे, सतगुष्ठ, असो भेद बताया।

                  (6)

पाना जो फूला मंडप छवायो, अखिन ता पूरा वर पायो।
घर घर कामिनी मंगल गावे, बहोत दलेली मेरे मन भावे।
भोरंग मस्त गले फूलमाला, ये देखो आये श्याम हमारा।
श्याम हमारा अधिक जो नूरा, सेहरो जोसोहे चंद सूरा।
श्याम हमारा याही विध साजे, सब संगत मिल आनि विराजे।
श्याम हमारा थईया जो आया, थईया जो आया सब पंचन शीश नबायो।
श्याम हमारा तोरन आया, तोरन आयो कामिन कलस भरायो।
श्याम हमारा चौरी जी आया, चौरी-आय जब चोर ढुडाया।
श्याम हमारा मांडे जी आया, मांडेजी आयो जब मंगल गायो।
श्याम हमारा फेरे जी आया, फेरे जी आयो बिरमा वेद उचारयो।
तोलन पात कुमारी ने सोवे, जो परने जो परघट होई।
खेमू कहे खाना जाति हमारी, सवलदास गुरु पूरा पाया।

                          (7)

पाँच करोणया पहलाद धनी रौ दल में, कोई साते किरोणा
हरीशचन्द राव सी जीवें। ये धनी सै दल मे (टेक) ।| 1
नौ करोणया से दुहीठल राव धनी रौ दल में,
कोई वारह करोणया से बलिराजा बंधन छूटे सी जीवें।
ये धनीरा दल में 2
कोई सवा लाख सेनानी धनीरा दल में, कोई कै लख तो
वाजा दल के बाजसी जीवे ये धनीरा दल मे। 3
कोई अनंत सदा गोरखराव धनीरा दल में, कोई हिवडे तो
हिवड़े सीगो सोमनी जीवें। ये धनीरा दल में 4

नौ लख घुड़े निसान धनीरा दल में, कोई दसला तो
हाका नेजा परहरे जीवे। ये धनींरा दल में 5
कोई डेरो दियो गढ़ नार धनिरा डेरो, कोई डेरो तो
दियो पोखर सरस्वती जीवें। ये धनीरा दल में 6
कोई माडो मंडव छिवाय धनीरा माडो, कोई खूंटी तो
रोपी चारो खूंट में जीवें ये धनीरा खूंटी 7
कोई चित हरि चोरी होय धनीरा चौरी, कोई चौरी तो
चौर ढडाय के जीवै ये धनीरा चोरी 8
कोई ऊंगी धरम दिवाए धनीरा दल में, कोई आगिम बोल्यो
अलख पुरुष रौ सामरौ जीवे। ये धनीरा आगिम 9
कोई आगिम सै सैदान धनीरां आगिम, कोई आगिम तो
बोल्यो साद ईशरौ जीवें। ये धनीरा आगिम 10

            (8)

मरदो पूरब पश्चिम दल जोर सतगुरू बाबा आवेगो
मरदो भई च सकत परवान जीन मंडाबगो
मरदो लख चौरासी रौ जोर हीरा रतन जड़ावेगों
मरदो आप घोड़ा रो असवार पोरी जगावेगो
मरदो पांच घोडा रो असवार दोर करावेगो
मरदो घोडा सौ वासिक राव सेरो बढावेगो
मरदो भई छ: पुरानी कलठोर नई रचावेगो
मरदो कर कंकड सिरमोर विंद कहावेगो
मरदो अखिल कुमारी रौ वीर परणन आवेगो
खूंटी तो रोपी चारो खूंट पाटिम डार मटावेगो
मरदो सोतो वासिक राव कौन जगावेगो
मरदों हाथ सकत भौ दंण्ड किशन जगावेगो
मरदों बिरमा तो बेगी बुलाय सबद सुनावेगो
मरदों सब संगत रौ नाद चौर ढुड़ावेगो
मरदो पांच करोडिया प्रहलाद सात से हरिशचद्ध आवेगो
मरदो नो करोडिया दुलठलराय बारह से बलि आवेगो।
मरदों छप्पन करोड़ियों दल जोर हनुमत आवेगो
मरदों शब्द सीगी रो राव गुरु गोरख आवेगो
मरदों पांच पण्डा लिये लार भीमसेन आवेगो
मरदों भीमसेन कोतारों पूत गजा फिरावेगे
मरदों वाणी वोल्यो छः लाखो साध आगम सत को गावेगो